It is really impressive the way these people help villagers improve their designing and technical skills, help in directly selling their products to retailers without the involvement of middlemen, thereby reducing the effective cost of products to customers.
Thursday, May 17, 2012
CLUSTERSHOP.IN. REGINA – Maheshwari Silk-cotton Saree
Wednesday, May 2, 2012
"आया है अकेला, जायेगा अकेला"
पर्दा ही ठीक है
गुज़र जाने दो अनजाने में
गहरी नींद में सपने की तरह
असमर्थ हूँ सामना करने में
उस भयावह सच का
जानता हूँ उस सच को
पर रहने दो उसे
अहम् की परतों तले
झूठी ही सही,हंसी
हंस तो लेता हूँ
झूठा ही सही सहारा
बेफिक्र तो हूँ
क्यूँ आ जाते हो फिर 2
उधेढ़ने परत 2
कर के आत्मा के तार 2
उस भयावह सच को
उजागर कर देते हो बार 2
जानता हूँ,
ऑंखें बंद करने से कुछ न होगा
और भी भयावह हो जायेगा
बंद आँखों में वह दृश्य
और भी पारदर्शी हो जायेगा
जब देखेगा इसे अंतर्मन
क्या थाम लोगे मुझे
जब वो परतें हटेंगी
वो आधार हिलेगा
जो था ही नहीं
वो सपना टूटेगा
अस्तित्व जिसका
था ही नहीं
सच सामने होगा
उस प्रलय की रात
आओगे? थामोगे मेरा हाथ ?
जीवनभर जैसे दिया साथ
चलोगे संग मेरे कालान्त?
नहीं
अतः
हट जाने दो पर्दा
हो जाने दो रौशनी
हटने दो अन्धकार
उठने दो स्वयं से
अपनी ही धरती का आधार
हो जाने दो अभी
इस सच से अभिभूत
"आया है अकेला "
"जायेगा अकेला"
ॐ
Saturday, January 21, 2012
What if the Time Rewinds......
What if the time could be wound
Again we would have been bound
To commit ourselves new mistakes
Afterall to err is humane
Even if the time could rewind
Never would rest the human mind
Never would he find any solace
Would find some new desire to chase
Again we would have been bound
To commit ourselves new mistakes
Afterall to err is humane
Even if the time could rewind
Never would rest the human mind
Never would he find any solace
Would find some new desire to chase
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