मैं और मेरा अकेलापन
गहरे दोस्त हैं
जब भी थक हार जाता हूँ
संसार के कर्म काण्ड से
दिखावटीपने से
तो ये मुझे
गले से लगा लेता है
मेरे सब दुःख हर लेता है
मुझे मेरे होने का एहसास कराता है
उतार कर रख देता है
मेरा मुखौटा
मुझे मेरी ही गर्त की
गहराइयों में ले जाता है
जहां कोई नहीं होता
हम दोनों के सिवा
जहां एहसास होता है मुझे
मेरे खोखलेपन का
एहसास होता है
जीवन के मिथ्यापने का
न हर्ष न शोक
न रिश्ता न नाता
न जीवन का एहसास
न मौत का गम
न कुछ खोना
न कुछ पाना
आनंद ही आनंद
आनंद ही आनंद
बस
मैं और मेरा अकेलापन